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लाल हवेली .........गौरा पंत "शिवानी"

पद्मा और लिली.........सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

पद्मा के चन्द्र-मुख पर षोडश कला की शुभ्र चंद्रिका अम्लान खिल रही है। एकांत कुंज की कली-सी प्रणय के वासंती मलयस्पर्श से हिल उठती,विकास के लिए व्याकुल हो रही है।  पद्मा की प्रतिभा की प्रशंसा सुनकर उसके पिता ऑनरेरी मैजिस्ट्रेट पंडित रामेश्वरजी शुक्ल उसके उज्ज्वल भविष्य पर अनेक प्रकार की कल्पनाएँ किया करते हैं। योग्य वर के अभाव से उसका विवाह अब तक...

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जयशंकर प्रसाद ......पुरस्कार:

आर्द्रा नक्षत्र; आकाश में काले-काले बादलों की घुमड़, जिसमें देव-दुन्दुभी का गम्भीर घोष। प्राची के एक निरभ्र कोने से स्वर्ण-पुरुष झाँकने लगा था।-देखने लगा महाराज की सवारी। शैलमाला के अञ्चल में समतल उर्वरा भूमि से सोंधी बास उठ रही थी। नगर-तोरण से जयघोष हुआ, भीड़ में गजराज का चामरधारी शुण्ड उन्नत दिखायी पड़ा। वह हर्ष और उत्साह का समुद्र हिलोर भरता हुआ आगे...

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कल महिला दिवस है--शैली बक्षी खड़कोतकर

"सुनो, कल डिनर बाहर करेंगे। तुम्हारा महिला दिवस है। क्यों, ठीक है न?" "नहीं, ठीक नहीं है।" "अच्छा! जाने का मन नहीं है, तो पिज्जा आ र्डर कर देंगे।" "अरे, वह नहीं, यह महिला दिवस, यह ठीक नहीं है।" "मतलब? भई, 8 मार्च, तुम लोगों का अपना दिन है।" "तो बाकी 364 दिन तुम्हारे यानि पुरुष दिवस हुए?" "ऐसा नहीं है.." "नहीं है,...

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भूत - मुंशी प्रेमचंद

मुरादाबाद के पंडित सीतानाथ चौबे गत 30 वर्षों से वहाँ के वकीलों के नेता हैं। उनके पिता उन्हें बाल्यावस्था में ही छोड़कर परलोक सिधारे थे। घर में कोई संपत्ति न थी। माता ने बड़े-बड़े कष्ट झेलकर उन्हें पाला और पढ़ाया। सबसे पहले वह कचहरी में 15) मासिक पर नौकर हुए। फिर वकालत की परीक्षा दी। पास हो गये। प्रतिभा थी, दो-ही-चार वर्षों में...

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